समकालीन कथक पर प्रलाप बेवजह: पद्मश्री शोवना नारायण

पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कथक नृत्यांगना शोवना नारायण जितनी लोकप्रिय परंपरागत कथक प्रेमियों के बीच हैं, उतनी ही लोकप्रिय समकालीन या कंटेंपररी कथक प्रेमियों के बीच भी।

मिथिला चित्रकला का ‘लोक’ और उसकी प्रवृत्तियां

1970 के दशक में जब ब्राह्मण और कायस्थ जाति की परंपरागत चित्रकला अपनी लोकप्रियता की ओर बढ़ रही थी, तब उसे स्थानीय लोक कलाकारों ने स्पष्ट चुनौती दी।