अंगिका लोकसाहित्य और मंजूषा चित्रकला

पुस्तक अंगिका लोकसाहित्य, उसके व्याकरण एवं मंजूषा चित्रकला के विस्तार, वर्तमान और उसके भविष्य के प्रति पर डॉ. अमरेंद्र की विहंगम दृष्टि से साक्षात्कार कराती है।