बिहुला-विषहरी का मिथक और 90 के दशक में मंजूषा कला

बिहार की मंजूषा चित्रकला पर यह आलेख वरिष्ठ चित्रकार शेखर ने 1991 में लिखा था। यह आलेख इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि यह वर्तमान मंजूषा कला को देखने की नयी दृष्टि देता है। पढ़िये –

चक्रवर्ती देवी से मिली मंजूषा चित्रों को पहचान

स्वर्गीय चक्रवर्ती देवी मंजूषा चित्रकला की सबसे ख्यातिलब्ध चित्रकार हैं।1980 के दशक में सरकारी प्रयासों से यह चित्रकला प्रकाश में आयी, जिसमें चक्रवर्ती देवी का महत्वपूर्ण योगदान था।