Description
भारतवर्ष के हर क्षेत्र की अपनी सांस्कृतिक संपन्नताएं हैं, विविधताएं हैं, विशेषताएं हैं। वर्तमान समय में स्थानांतरण या पलायन (चाहे वह जिस भी कारण से हुआ हो) सामान्य हो चला है, संस्कृतियों का समागम स्वाभाविक रूप से दिखता है। पीढ़ी-दो-पीढ़ी बाद उनमें बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, उनका विस्मरण शुरू हो जाता है। तब प्रलेखन का महत्व बढ़ जाता है। ‘बिध-बिधान’ पुस्तक वास्तव में प्रलेखन की कोशिश है, जिसमें संस्कारों और पर्व त्योहारों की जानकारी है और जिसमें खासतौर पर मिथिला क्षेत्र में कायस्थ समाज की विवाह-पद्धति को विस्तार से लिपिबद्ध किया गया है।
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