“समय के साथ बदलेगी मंजूषा कला, लेकिन शैलीगत छेड़छाड़ से बचें”

“जो गतिशीलता का विरोधी है, परिवर्त्तन का विरोधी है, वह मृत्यु का पक्षधर है, जड़ता का समर्थक है। परिवर्त्तन चाहे जितना हो, उसे देखते ही लगना चाहिए कि यह मंजूषा शैली ही है।”

टिकुली कला का वर्तमान स्वरूप: परंपरा या आधुनिक घटना?

टिकुली कला का मौजूदा चलन करीब चार दशक पुरानी घटना है जिसमें जगदंबा देवी की चित्र शैली टिकुली कला की प्रामाणिक शैली मान ली गयी और अब वह बाजार का हिस्सा है।