भारत का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है और उसे गौरवशाली बनाने में बिहार का योगदान अतुलनीय है। कला और साहित्य की दृष्टि से बिहार का वर्तमान भी कम गौरवपूर्ण नहीं है। बिहार ने केवल महान साहित्यकारों को जन्म नहीं दिया, बल्कि कलाकारों ने भी पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। खासकर मिथिला कलाकारों ने। विगत दो दशक पर नजर डालें तो देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित कला-प्रदर्शनियों एवं कला-गतिविधियों में बिहार के समकालीन कलाकारों की महत्वपूर्ण भागेदारी रही है। उनमें से कई कलाकारों ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी बनायी और चर्चित भी हुए। यह बिहार के लिए गौरव का विषय है। बिहार ने किन रास्तों पर चलकर वह गौरव हासिल किया है, खासकर महिला चित्रकारों ने, उसका अनुभव आप तब कर पाते हैं जब आप इन दिनों बिहार संग्रहालय में चल रही प्रदर्शनी “हर महिला कुछ खास” में उनकी कलाकृतियों से साक्षात्कार करते हैं।
विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में बिहार संग्रहालय द्वारा बिहार के महिला कलाकारों की यह प्रदर्शनी आयोजित की गयी, जो 10 अप्रैल तक तक चलेगी। बिहार में पहली बार किसी प्रदर्शनी में लोक और समकालीन कलाकारों की कलाकृतियां एक साथ देखने को मिल रही हैं। इस दृष्टि से यह एक ऐतिहासिक प्रदर्शनी है जिसमें सोलह लोककलाकर और छब्बीस समकालीन कलाकार शामिल हैं। लोककला खंड में पांच पद्मश्री कलाकारों, जगदम्बा देवी, बौआ देवी, गोदावरी दत्त और दुलारी देवी की मिथिला पेंटिंग और सुभद्रा देवी की पेपरमैसी की कलाकृतियां प्रदर्शित हैं। साथ ही लीला देवी और मोती कर्ण की मिथिला पेटिंग, अंजना कुमारी के मंजूषा चित्र, गीतांजलि चौधरी और शबीना इमाम की टिकुली कला, कामिनी कौशल की पेपरमैसी, मुन्नी देवी और सुधीरा देवी की सिक्की कला, संजू देवी की सुजनी कला और प्रभा देवी और सुशीला देवी की एप्लिक कला की बेहतरीन कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी हैं।
समकालीन कला खंड में भी अनेक विधा के कलाकारों को स्थान दिया गया है जिसमें चित्रकला, छापाकला, मूर्तिकला और संस्थापन कला के कलाकार शामिल हैं। चित्रकारों में शिखा सिन्हा, मोइत्री कुमार, संगीता और नम्रता कुमारी की कलाकृतियां अमूर्त भावों को व्यक्त करती हैं। वहीँ, अनीता कुमारी, मीनाक्षी झा बनर्जी, संजू दास, संगीता मिश्रा, रंजीता कुमार, कुमारी रंजीता, सोमा आनंद, कंचन प्रकाश, अर्चना कुमार, सत्या सार्थ, सारिका कुमारी और स्मिता पराशर की कलाकृतियां आकृतिमूलक हैंl अलका दास और सुप्रिया झा ने मिथिला पेंटिंग में ही आधुनिक प्रयोग किये हैं। इनके अलावा राखी कुमारी, किरण कुमारी और शैल कुमारी के छापा चित्रों के साथ-साथ सुकन्या और ममता केसरी के मूर्ति शिल्प भी प्रदर्शित हैं। शैली भटनागर, अर्चना सिन्हा और नीतू सिन्हा की संस्थापन कला को भी प्रदर्शनी में स्थान दिया गया है।
बिहार संग्रहालय के अतिरिक्त निदेशक अशोक कुमार सिन्हा प्रदर्शनी के क्यूरेटर हैं, जिन्होंने संग्रहालय के डायरेक्टर जेनरल अंजनी कुमार सिंह के निर्देशन पर इस अभूतपूर्व कला प्रदर्शनी की परिकल्पना तैयार की थी। प्रदर्शनी के उदघाटन के मौके पर उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब चार पद्मश्री कलाकार एक साथ एक कला मंच पर उपस्थित हों और दो अन्य पद्मश्री कलाकार हॉल में बैठकर सभी कलाकारों को अपना आशीर्वाद दे रहे हों। मंचासीन पद्मश्री कलाकारों का कहना था कि कभी जापान में हासेगावा का मिथिला म्यूजियम उन्हें गौरव का एहसास कराता था, वही एहसास अब बिहार संग्रहालय को देखकर हो रहा है। जाहिर तौर पर इस प्रदर्शनी ने बिहार के कलाकारों में एक नवीन ऊर्जा का संचार किया है, खासतौर पर इस बात से कि उन्हें बिहार में अब सम्मान मिल रहा है।
प्रदर्शनी का एक खूबसूरत कैटलॉग भी प्रकाशित किया गया है जिसमें प्रत्येक कलाकार का संक्षिप्त परिचय और उनकी चार कलाकृतियां छापी गयी हैं जिन्हें पढ़कर कलाप्रेमियों को बिहार की कला के बारे में अच्छी जानकारी मिल सकेगी।
Rawindra Kumar Das
Senior journalist and art editor
Rashtriye Sahara Newspaper
Noida, UP
Blog
Eminent artist of Bihar, A student of the College of Arts and Crafts, Patna, Widely exhibited in different cities in India and associated with numerous social and cultural organizations. Lives and practice art in Ghaziabad, UP.
Gallery
Exhibition: Har Mahila Kuchh Khaas, Bihar Museum
Venue: Bihar Museum, Patna, Bihar
Date: till 10 April, 2023
Gallery images: 8
Courtesy: Rawindra Kumar Das
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