Prof. Jai Krishna Agarwal
Former Principal I College of Arts and Crafts, University of Lucknow,
Lucknow, UP
Blog
Regarded as one of the major Indian printmakers of post independent era. Widely travelled, he has exhibited his creations globally, associated with numerous social, cultural and
academic institutions.
उन दिनों मैं कवि कुंवर नारायण के आवास विष्णु कुटी के आउट हाउस में रह रहा था। पंडित जसराज जी कार्यक्रम के लिए जब भी लखनऊ आते, कुंवर नारायण जी के यहां ही रुकते थे। एक सुबह हम सब इकट्ठे लॉन में चाय पी रहे थे। जसराज जी कल रात के कार्यक्रम से संतुष्ट बड़े हलके मूड में थे। उसी समय कुंवर नारायण जी के बेटे अपूर्व ने क्रिकेट खेलना शुरू किया।
पहले ही शाट में बॉल जसराज जी के पैरों से जा लगी। बस क्या था, पंडित जी ने चैलेंज स्वीकार कर लिया। हाथ में बाल लेकर बॉलिंग करने चल दिये। पांचवीं बाल फेकने के बाद बोले, ‘बैटिंग की अब मेरी बारी है।‘ बस क्या था, पहली ही बॉल में क्लीन बोल्ड
हो गये।
अपूर्व को जसराज जी पर दया आई और कुछ और बाल खेलने के लिए आमंत्रित किया। इस बार पंडित जी ने बाउंड्री लगा दी। मैं भी दौडकर अपना कैमरा ले आया, पर जल्दबाजी में फोकस ठीक से नहीं कर पाया। फिर भी स्मृति चिन्ह स्वरूप यह चित्र आज भी उस दिन की याद दिलाता है, जब बाऊड्री लगाने के बाद संगीत सम्राट ने कहा कि क्रिकेट भी एक अच्छा विकल्प हो सकती थी।
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विष्णु कुटी, महानगर, लखनऊ-सन 1980 के आसपास की घटना।