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Jai Krishna Agarwal
Former Principal, College of Arts and Crafts, University of Lucknow, UP
एक सुबह जब पं. जसराज क्लीन बोल्ड हो गये
ये बात है विष्णु कुटी, महानगर, लखनऊ की, सन 1980 के आसपास...
उन दिनों मैं कवि कुंवर नारायण के आवास विष्णु कुटी के आउट हाउस में रह रहा था। पंडित जसराज जी कार्यक्रम के लिये जब भी लखनऊ आते, कुंवर नारायण जी के यहां ही रुकते थे। एक सुबह हम सब इकट्ठे लॉन में चाय पी रहे थे। जसराज जी कल रात के कार्यक्रम से संतुष्ट बड़े हलके मूड में थे। उसी समय कुंवर नारायण जी के बेटे अपूर्व ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। पहले ही शॉट में बॉल जसराज जी के पैरों से जा लगी।बस क्या था पंडित जी ने चैलेंज स्वीकार कर लिया। हाथ में बाल लेकर बाॅलिंग करने चल दिये। पांचवीं बॉल फेकने के बाद बोले, बैटिंग की अब मेरी बारी है। बस क्या था पहली ही बाल में क्लीन बोल्ड हो गये। अपूर्व को जसराज जी पर दया आई और कुछ और बॉल खेलने के लिये आमंत्रित किया। इस बार पंडित जी ने बाउड्री लगा दी। मैं भी दौडकर अपना कैमरा ले आया, पर जल्दबाजी में फोकस ठीक से नहीं कर पाया। फिर भी स्मृति चिन्ह स्वरूप यह चित्र आज भी उस दिन की याद दिलाता है जब बाऊड्री लगाने के बाद संगीत सम्राट ने कहा कि क्रिकेट भी एक अच्छा विकल्प हो सकती थी।