यह लोकगाथा बेगूसराय जिला के बखरी बाजार की प्रसिद्ध जादूगरनी बोहुरा गोढ़नी से संबंधित है। लोकगाथा के अनुसार बखरी बाजार शहर का दुखहरन सहनी और भरौड़ा गांव (दरभंगा) निवासी विश्वंभर सहनी कमला नदी में मछली का व्यापार करते थे। दोनों में गाढ़ी मित्रता थी। अपनी मित्रता को लंबा आयाम देने के ख्याल से दोनों मित्रों ने यह निश्चय किया कि हम अपने बच्चों की शादी एक-दूसरे के परिवार में करेंगे। अर्थात् जिसको बेटा होगा वह अपने मित्र की बेटी से उसका विवाह करेगा। अपने आपसी दोस्ताना निर्णय को वे दोनों अपनी-अपनी पत्नियों एवं परिवार के अन्य सदस्यों को बता दिए।
समय बीतने के पश्चात् बखरी के दुखहरन सहनी को पुत्री हुई जिसका नाम उसने अमरौती रखा। भरौड़ा निवासी विश्वंभर को पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम उसने नेटुआ दयाल सिंह रखा। अभी दोनों बच्चे अबोध ही थे कि दिनों मित्रों विश्वंभर और दुखहरन की मृत्यु हो गयी। इधर नेटुआ दयाल सिंह को उसके चाचा भीमल सिंह ने पाला-पोसा, तो उधर अमरौती को उसकी मां बोहुरा गोढ़नी ने। जब नेटुआ दयाल सिंह बड़ा हो गया तब उसके चाचा ने अपने भाई विश्वंभर के कथनानुसार नेटुआ दयाल सिंह की शादी का प्रस्ताव बखरी बाजार के दुखहरन सहनी की पत्नि बोहुरा गोढ़नी के पास भेजा। बोहुरा गोढ़नी को भीमल सिंह के दूत ने पुराने वादों की याद दिलाकर उसकी बेटी अमरौती की शादी नेटुआ दयाल सिंह से करने का प्रस्ताव रखा। अपनी बेटी अमरौती की शादी के इस प्रस्ताव पर बोहुरा गोढ़नी ने निम्न शर्त रख दी –
“अपनी बेटी अमरौती की शादी भरौड़ा के विश्वंभर सहनी के पुत्र और भीमल सिंह के भतीजा नेटुआ दयाल सिंह से तभी करेंगे जब वे कमला नदी की धार को बखरी बाजार तक आने देंगे।”
यह प्रस्ताव भीमल सिंह के पास आया। भीमल सिंह ने कहा कि कमला नदी से तो हमलोगों का मछली का व्यापार चलता है, लेकिन बोहुरा गोढ़नी की यह शर्त है तो हम यही करेंगे कि अगर बोहुरा गोढ़नी में सामर्थ्य हो तो वह कमला नदी को बखरी बाजार तक ले जाये। भीमल सिंह के जवाब ने वैमनस्यता का बीज बो दिया। बोहुरा गोढ़नी ने भीमल सिंह को यह खबर दी कि वह अपनी बेटी अमरौती की शादी नेटुआ दयाल सिंह से करने के लिए तैयार है बशर्ते कि वह सात सौ बारातियों के साथ बखरी बाजार पहुंचे।
भीमल सात सौ बारातियों के साथ बखरी बाजार पहुंचता है। वहां पहुंचने के बाद बोहुरा गोढ़नी ने कमला की धार बखरी शहर न भेजने के कारण भीमल और सभी बारातियों को सबक सीखाने के उद्देश्य से अपनी जादुई शक्ति का प्रयोग करती है। बोहुरा जादू में प्रखर थी। वह भीमल को अंधा बना देती है और सभी सात सौ बारातियों को अपने जादू के प्रभाव से मौत की नींद सुला देती है।
भीमल अपने भतीजे नेटुआ दयाल सिंह को लेकर किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग जाता है। इस घटना से नेटुआ बहुत आहत होता है और बिना बदला लिए एवं अमरौती को गौना करके भरौड़ा ले जाये बगैर वापस गांव नहीं जाने का संकल्प लेता है। भीमल के लाख समझाने के बावजूद भी वह भरौड़ा वापस नहीं आता है। वह रास्ते में माता कमला को सारा वृतांत सुनाता है और माता कमला उसे मोरंग राज (नेपाल) जाकर हीरिया-जीरिया से जादू सीखकर आने की सलाह देती है। माता कमला का आशीर्वाद लेकर नेटुआ मोरंग राज पहुंचता है और हीरिया-जीरिया एवं नैना-जोगिन बारह बरस तक जादू सीखकर एक योगी का वेष धारण कर अपने गांव भरौड़ा पहुंचता है।
इधर भरौड़ा में भीमल सिंह को ग्रामवासी नेटुआ दयाल सिंह का दाह-संस्कार के लिए बाध्य कर रहे थे। प्रथा के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति बारह बरस तक अपने घर नहीं लौट सके तो उसे मृत मान लिया जाता है। जब भीमल नेटुआ दयाल के कृत्रिम पार्थिव शरीर का निर्माण कर शव यात्रा कि लिए निकलता है तब योगी वेष में नेटुआ वहां उपस्थित होता है और जानना चाहता है कि वह शवयात्रा किसकी है। उसे पता चलता है कि ग्रामवासी बारह बरस पहले गये नेटुआ दयाल सिंह का दाह-संस्कार करने जा रहे हैं तब वह अपना परिचय अपने चाचा भीमल, बहन और ग्रामवासियों को देता है तथा बारह बरस तक अपनी अनुपस्थिति और इस अवधि में मोरंग राज में सीखे जादू के बारे में सबको बताता है।
नेटुआ दयाल अपने चाचा और गांव-समाज के लोगों से आग्रह करता है कि वे उसके गौना के लिए बखरी बाजार चलें। शुरू में तो लोग शादी के समय सात सौ बारातियों को बोहुरा गोढ़नी द्वारा मार दिए जाने की घटना से घबराते हैं, लेकिन नेटुआ दयाल सिंह द्वारा जादुई करिश्मा दिखाने के पश्चात् आश्वस्त हो गौना के लिए बखरी बाजार की ओर प्रस्थान करते हैं।
बारात बखरी बाजार पहुंचकर ठूंठी पाकड़ (एक प्रकार का पाकड़ का पेड़) के पास रूकती है। भीमल सिंह को वहां प्यास लगती है तो वह नेटुआ दयाल सिंह को पकवा ईनार पर जाकर पाने लाने के लिए कहता है। नेटुआ ईनार पर पहुंचता है। वहां अमरौती अपनी भाभी के साथ पानी भर रही थी। नेटुआ उससे पानी की मांग करता है, लेकिन अमरौती पानी देने से इनकार करती है। उसे इस बात का डर होता है कि पर पुरुष के स्पर्ष से उसका स्त्रीत्व नष्ट हो जाएगा। दोनों के बीच विवाद होता है। विवाद के क्रम में दोनों जान जाते हैं कि वे पति-पत्नि हैं। तब अमरौती नेटुआ से आग्रह करती है कि वह उसे वहीं से सीधे भरौड़ा ले जाएं। नेटुआ कहता है कि वह चोरी छुपे नहीं जाएगा बल्कि समस्त बारातियों को जिंदा कर बखरी शहर से विजय घोष के साथ उसे ले जाएगा। उसके बाद नेटुआ पानी लेकर वापस आता है उधर अमरौती भी अपने घऱ पहुचती है।
नेटुआ दयाल अपने चाचा से गौना का संदेश लेकर अपने साला मानिकचंद्र और सास बोहुरा गोढ़नी के पास जाने का आग्रह करता है। भीमल बोहुरा के पास पहुंचता है और गौने की बात करता है तो बोहुरा उसे भला-बुरा कहकर भगा देती है। अमरौती भी अपनी मां से अपने पति के आने की खबर देती है और अपने ससुराल भरौड़ा जाने की इच्छा व्यक्त करती है। इस बीच नेटुआ दयाल सिंह अपने जादू के प्रभाव से पूरे बखरी बाजार में आतंक फैला देता है। बोहुरा गोढ़नी अंत में अपनी बेटी अमरौती के आग्रह पर उसका गौना करने के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन वह फिर कमला नदी की धार को बखरी बाजार तक लाने की शर्त्त रख देती है। भीमल सिंह इसके लिए तैयार हो जाता है।
भीमल द्वारा वचन दिए जाने के पश्चात् बोहुरा गोढ़नी अपनी बेटी अमरौती को नेटुआ दयाल सिंह के साथ विदा करती है। वह उन सात सौ बारातियों को भी जिंदा कर देती है जिसे उसने शादी के समय मौत की नींद सुला दिया था। इस तरह कमला नदी की धार बखरी शहर तक बहने लगती है। अमरौती और नेटुआ दयाल सिंह भी खुशीपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगते हैं।
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Dialect: नेटुआ – नटुआ , बोहुरा – बहुरा, गोढ़नी – गोढ़िन
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