बिहार के मधुबनी जिला स्थित जितवारपुर गांव मिथिला कला और गोदना कला के लिए प्रसिद्ध है। गोदना कला जिन कलाकारों की वजह से चर्चा में आई, उनमें चानो देवी, रौदी पासवान, शांति देवी, शिवन पासवान, उर्मिला देवी पासवान, उर्मिला देवी जैसे कलाकारों के नाम प्रमुख हैं। उसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण कलाकार हैं उत्तम प्रसाद पासवान।
उत्तम पासवान का जन्म 16 अगस्त 1967 को जितवारपुर के चुल्हाई पासवान और जोगेश्वरी देवी के घर हुआ। गरीबी की हालत में उन्होंने किसी तरह नवीं की पढ़ाई पूरी की। उनके बड़े भाई रौदी पासवान और उनकी भाभी चानो देवी तब तक गोदना कला में चर्चित होने लगे थे। लिहाजा भाई और भाभी की प्रेरणा से उत्तम ने भित्ति चित्र बनाने की शुरुआत की।
भित्ति चित्रण में उनकी दक्षता को देखते हुए रौदी पासवान ने उन्हें एक दिन चित्र बनाने के लिए बिहारशरीफ का हस्तनिर्मित कागज लाकर दिया और तब से लेकर आज तक उत्तम की कला यात्रा जारी है। उन्होंने चानो देवी के सानिध्य में गोदना चित्र बनाना सीखा और रौदी पासवान से प्राकृतिक रंग बनाने की कला सीखी। 1984 में उत्तम पासवान ने पहली बार कागज पर गोदना चित्र बनाए जिसका विषय था राजा सलहेस। उस चित्र में राजा सलहेस हाथी पर सवार थे और उनके आगे भगिना कारिकन्हा और मंगला महावत था। साथ ही घोड़े पर मोतीराम और बुधेश्वर के साथ फूल-पत्तियों का चित्रण था।
चानो देवी की ही तरह उन्होंने अपना पहला चित्र माचिस की तीली के प्रयोग से बनाया था, जिसमें आकृतियों की आउटलाइन गोबर-पानी के घोल से खींची गयी थी और उन्हें काले रंग की ठोप से अलंकृत किया गया था। उत्तम ने उस चित्र में बाजार में उपलब्ध काले रंग का और स्वयं के बनाए हुए प्राकृतिक रंग भरे थे। अगले ही वर्ष जब मिथिला म्यूजियम के डायरेक्टर टोकियो हासेगावा जितवारपुर आए, तब उन्होंने वह चित्र खरीद लिया था। 1985 में ही उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना के निमंत्रण पर उत्तम ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
1989 तक उत्तम पासवान, अपने भाई रौदी पासवान और भाभी चानो देवी की छत्रछाया में गोदना चित्र बनाते रहे। 1989 में उन्हें दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में चित्र बनाने का मौका मिला और रौदी पासवान की मदद से वे क्राफ्ट म्यूजियम के सीनियर डायरेक्टर ज्योतिंद्र जैन से मिले, जो तब मिथिला कला के साथ-साथ गोदना कला को भी प्रोत्साहित कर रहे थे। डॉ. जैन के कहने पर उत्तम ने क्राफ्ट म्यूजियम के लिए अनेक गोदना चित्र बनाए।
1995-96 में उत्तम पासवान ने ‘नेशनल अवार्ड’ के लिए 10 फीट बटा 5 फीट के दो गोदना चित्र बनाए। वे दोनों चित्र अब ज्योतिंद्र जैन के संग्रह में हैं। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग माध्यमों में अलग-अलग दैनिक उपयोग की वस्तुओं और स्टेशनरी उत्पादों पर गोदना चित्र बनाए। उत्तम कहते हैं कि तब प्रतिदिन औसतन सौ से तीन सौ रुपये तक की आमदनी हो जाती थी।
उत्तम पासवान ने जिन गोदना चित्रों को बनाया, उनमें राजा सलहेस को प्रमुखता दी। उनके चित्रों की विशेषता यह है कि उसमें राजा सलहेस के इर्द-गिर्द का चित्र अलंकरण गैर-दलित परंपराओं से आते हैं। उत्तम कहीं-कहीं सलहेस का चित्रण त्रिदेव के अलग-अलग अवतारों के साथ भी करते हैं, जिनमें दशावतार, शिवावतार, विश्वरूप, कृष्ण रास आदि प्रमुखता से दिखता है।
उनके बनाए चित्रों की प्रदर्शनी पटना, बनारस, कलकत्ता, भुवनेश्वर, दिल्ली, जयपुर, भोपाल, इंदौर, आगरा, मद्रास, पॉन्डिचेरी और काठमांडू में लगाई जा चुकी है। 2017 में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय की तरफ से उन्हें टोकियो में एक चित्र प्रदर्शनी में शामिल होने का मौका मिला है, जहां उन्होंने गोदना चित्र बनाने का जीवंत प्रदर्शन भी किया है।
2014-15 में उत्तम द्वारा बनाए गए गोदना चित्र ‘ब्रह्माण्ड’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ‘ब्रह्माण्ड’ में इंद्रासन के दृश्यों का चित्रण है जहां राजा सलहेस ढोलक बजा रहे हैं और लक्ष्मी, देवी सती के अवतार में नृत्य कर रही हैं। बह्मा, विष्णु, महेश के साथ-साथ संपूर्ण देव-मंडल, भू-मंडल और प्रकृति उस अदभुत नृत्य-संगीत का साक्षी है।
मिथिला कला परंपरा में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए जाने से पूर्व उत्तम प्रसाद पासवान को 2013 में बिहार कला पुरस्कार के तहत सीता देवी सम्मान और 1986-87 में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
—
Folkartopedia welcomes your support, suggestions and feedback.
If you find any factual mistake, please report to us with a genuine correction. Thank you.
Tags: Godna painter Uttam Paswan, National Awardee, Uttam Prasad Paswan, गोदना चित्रकार उत्तम पासवान