सत्तर हिरणियां कहती हैं, ‘‘हे राजा हमारे पति को क्यों मारते हो? उसके बिना हम हिरणियां इस वन में विधवा डोलेंगी। तू हममें से दो चार को मार ले, हमारे भरतार को छोड़ दे।”
राजा भरतहरी की कथा देवी दुर्गा की स्तुति से शुरू होती है। कथा को गद्य और पद्य दोनों में गाया जाता है। बीच–बीच में नैतिकता का संदेश देते दोहे बोले जाते हैं।