राजा भरतहरी की कथा: भाग-3

सत्तर हिरणियां कहती हैं, ‘‘हे राजा हमारे पति को क्यों मारते हो? उसके बिना हम हिरणियां इस वन में विधवा डोलेंगी। तू हममें से दो चार को मार ले, हमारे भरतार को छोड़ दे।”

राजा भरतहरी की कथा: भाग-2

विक्रमादीत रानी और नौकर को महल में साथ–साथ देख लेता है। रानी तब नौकर से कहती है कि तुम घबराओ मत, मैं अपने देवर को देश निकाला दिलवाऊंगी।

राजा भरतहरी की कथा: भाग-1

रात के आधे पहर रेंगटा लाखा कुम्हार को आवाज़ लगाता है कि पैपावती नगरी के राजा को जाकर कहे कि वह अपनी लड़की पानदे बाई का विवाह उससे कर दे।

राजा भरतहरी की कथा: परिचय

राजा भरतहरी की कथा देवी दुर्गा की स्तुति से शुरू होती है। कथा को गद्य और पद्य दोनों में गाया जाता है। बीच–बीच में नैतिकता का संदेश देते दोहे बोले जाते हैं।