लोकगाथा सीरीज: सोरठी-बृजभार का कथानक

लोकगाथा सोरठी बृजभार संपूर्ण बिहार और अवध क्षेत्र में लोकप्रिय है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 1100 – 1325 ई. के बीच हुई जब नाथपंथ का प्रभाव पूरे क्षेत्र में प्रबल था।

नैहर, न्यौछावर और नागराज: लोकगाथा बिहुला-विषहरी की उपकथा – दो

‘बिहुला-विषहरी’ का काल संस्कृतियों के विलयन का काल था। अंग क्षेत्र में वह कितना सहज था, उसकी अभिव्यक्ति इस लोककथा में है: मीरा झा, अंगिका साहित्यकार, भागलपुर।

नाग से विवाह: लोकगाथा बिहुला-विषहरी की उपकथा – एक

‘नाग से विवाह’ लोकगाथा बिहुला-विषहरी की अनेक उपकथाओं में से एक है। इसमें नागों का जनजातीय स्वरूप और उसका प्राकृतिक स्वभाव, दोनों साथ प्रत्यक्ष होता है।

पानी पर चलना: लोककथा

व्यवस्थाएं, अपने पक्ष में षडयंत्र रचती हैं, गठजोड़ करती हैंं और मोहरची उस पर मुहर लगाता है। उसी व्यवस्था के चरित्रों को उजागर करती यह लोककथा आप सबके समक्ष प्रस्तुत है।