नैहर, न्यौछावर और नागराज: लोकगाथा बिहुला-विषहरी की उपकथा – दो
‘बिहुला-विषहरी’ का काल संस्कृतियों के विलयन का काल था। अंग क्षेत्र में वह कितना सहज था, उसकी अभिव्यक्ति इस लोककथा में है: मीरा झा, अंगिका साहित्यकार, भागलपुर।
‘बिहुला-विषहरी’ का काल संस्कृतियों के विलयन का काल था। अंग क्षेत्र में वह कितना सहज था, उसकी अभिव्यक्ति इस लोककथा में है: मीरा झा, अंगिका साहित्यकार, भागलपुर।
‘नाग से विवाह’ लोकगाथा बिहुला-विषहरी की अनेक उपकथाओं में से एक है। इसमें नागों का जनजातीय स्वरूप और उसका प्राकृतिक स्वभाव, दोनों साथ प्रत्यक्ष होता है।
हिरनी-बिरनी लोकगाथा में ऊंची जाति का पोसन सिंह नटिन बहनों से शादी करता है। विवाह का प्रसंग जनमना जाति व्यवस्था में विवाह पर लगे स्वजातीय सीमा बंधन को चुनौती देता है।
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