भोजपुरी अंचल (पूर्वांचल) में कोहबर चित्र

भोजपुरी अंचल के सामाजिक जीवन के संस्कार, उसमें निहित आंतरिक जीवन दर्शन तथा आदर्श मूल्यों का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से वहां की कलाओं पर विद्यमान हैं।

भोजपुरी चित्रकला

लोक का जीवन संघर्ष और लोक कला

भोजपुरी चित्रकला: सत्ता-संस्कृति हो या बाजारवाद, उनकी कोशिश लोक कला को परंपरा, धर्म व रूढ़ी की बेडि़यों में जकड़ कर एक दरबारी, सजावटी कला बना देने की रही है।

भोजपुरी अंचल (पूर्वांचल) के कोहबर चित्र का वैशिष्टय

कोहबर की परंपरागत थाति को पूर्वांचल के कलाकारों ने अपूर्व संवेदनशीलता एवं सृजनात्मक सामर्थ्य से अनुदित कर सहेजा है जिसे समझने के लिए सूक्ष्म दृष्टि की आवश्यकता है।