भोजपुरी अंचल (पूर्वांचल) में कोहबर चित्र

भोजपुरी अंचल के सामाजिक जीवन के संस्कार, उसमें निहित आंतरिक जीवन दर्शन तथा आदर्श मूल्यों का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से वहां की कलाओं पर विद्यमान हैं।

भोजपुरी अंचल (पूर्वांचल) के कोहबर चित्र का वैशिष्टय

कोहबर की परंपरागत थाति को पूर्वांचल के कलाकारों ने अपूर्व संवेदनशीलता एवं सृजनात्मक सामर्थ्य से अनुदित कर सहेजा है जिसे समझने के लिए सूक्ष्म दृष्टि की आवश्यकता है।

प्रलेखन: वाराणसी की ताम्र-कला

देश-विदेश में मशहूर वाराणसी की ताम्र-कला से जुड़े कलाकारों की लगभग 75 से 80 फीसदी आबादी काशीपुरा मुहल्ले की तंग गलियों में रहती है जिनकी रोजाना आय करीब 100 रु. है।

लोककला: सहअस्तित्व भाव से निर्देशित होती परंपरा एवं आधुनिकता

भारत सांस्कृतिक विरासतों के साथ-साथ सांस्कृतिक बहुलताओं का भी देश है, जिनके बीच सहअस्तित्व की भावना सदियों से विद्यमान रही है। लोककलाएं उसका प्रमाण हैं।