लोककला और साहित्य के आइने में राजा सलहेस
लोकगाथा सलहेस में मौजूद दलितों की मुखर अभिव्यक्ति तिरोहित दिखती है, अब ‘समाज’ को जागृत करने का उत्स नहीं दिखता और चित्रों में उनका निरूपण महज आलंकारिक है।
लोकगाथा सलहेस में मौजूद दलितों की मुखर अभिव्यक्ति तिरोहित दिखती है, अब ‘समाज’ को जागृत करने का उत्स नहीं दिखता और चित्रों में उनका निरूपण महज आलंकारिक है।
लोकगाथा राजा सलहेस न केवल एक दलित-शोषित समाज की वास्तविकताओं व अपेक्षाओं की गाथा है, वह उनकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक टकराहटों की भी गाथा है।
लोकगाथा राजा सलहेस ने बिहार में एक संस्कृति को जन्म दिया जो समतामूलक समाज की मांग करता है। यह साधनसंपन्न सवर्ण समाज के लिए पचा पाना आसान नहीं है।
राजा सलहेस, बिहार की लोकगाथाओं में सबसे लोकप्रिय है। उनकी स्वीकार्यता सर्वजातीय समाज में है। इस लोकगाथा में अनेक अंतर्जातीय विवाह हैं। विवाहों के दौरान तमाम संघर्ष, जादू-टोना और दाव-पेंच दर्शकों को खासा रोमांचित करता है।
Sir George Abraham Grierson OM KCIE (7 January 1851 – 9 March 1941) was an Irish administrator and linguist in British India. He worked in the Indian Civil Services but an interest in philology and linguistics led him …
डॉ. ग्रियर्सन ने 1881 में इंट्रोडक्शन टू द मैथिली लिटरेचर ऑफ नॉर्थ बिहार, क्रिस्टोमैथी एंड वोकैबुलरी पुस्तक लिखी, जिसमें पहली बार राजा सलहेस की चर्चा मिलती है।
Folkartopedia; Archive of Folk Arts is an initiative of Folkartopedia Foundation and Focarts India to create a space for critical engagement on art, culture and heritage by promoting digital culture among the art communities and the common mass.
Folkartopedia is the leading resource of knowledge on folk art and expression in India. Stay connected.