सिक्की कला ने संवार दी ‘सूरत’: नाजदा खातून

गरीबी को आमलोग अपनी नियति मान लेते हैं। नाजदा ने गरीबी के खिलाफ नियति से जंग छेड़ दी। दादी ने सिक्की से खेलना सिखाया था, उन्होंने सिक्की से कामयाबी की इबारत लिख दी।

कला संवादों से निखरती है हमारी कला: पद्मश्री प्रो. श्याम शर्मा

बिहार की कला में समकालीनता के तत्व सबसे पहले बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में दिखते हैं। इसी समय पटना कलम में नये विषय शामिल हुए, चित्रण हेतु नये माध्यम अपनाए गये और चित्रों में नये प्रयोग भी हुए।

लोकगाथा राजा सलहेस: मिथिलांचल क्षेत्र

राजा सलहेस, बिहार की लोकगाथाओं में सबसे लोकप्रिय है। उनकी स्वीकार्यता सर्वजातीय समाज में है। इस लोकगाथा में अनेक अंतर्जातीय विवाह हैं। विवाहों के दौरान तमाम संघर्ष, जादू-टोना और दाव-पेंच दर्शकों को खासा रोमांचित करता है।

अथ गीत राजा सलहेसक: जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन

डॉ. ग्रियर्सन ने 1881 में इंट्रोडक्शन टू द मैथिली लिटरेचर ऑफ नॉर्थ बिहार, क्रिस्टोमैथी एंड वोकैबुलरी पुस्तक लिखी, जिसमें पहली बार राजा सलहेस की चर्चा मिलती है।